4 महीना में रु120 करोड़ डिजिटल अरेस्ट में गवाए, ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम में हुआ बदलाव

आधार सत्यापन वह अपडेट करने, बैंक खाते की KYC करवाने, पार्सल के नाम पर वह अन्य तरीके सत्यापन के नाम पर लोगों को चूना लगा रहे हैं साइबर ठग लोगों को भरोसे में लेकर ओटीपी मांगते हैं 7000 करोड रुपए से अधिक की साइबर ठगी 4 महीनो में हुई है 

भारत में आए दिन तेजी से साइबर ठगी के मामले बढ़ रहे हैं इसी वर्ष के पहले चार महीना में 120 करोड रुपए से अधिक की रकम सिर्फ डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी की जा चुकी है जबकि नौकरी दिलाने, शादी करने, निवेश करने व सत्यापन करने से लेकर अन्य तक तरह के हथकंडों को अपनाकर 7000 करोड रुपए लोगों के बैंक खाते से उड़ा चुके हैं ऐसी स्थिति को लेकर रिजर्व बैंक आफ इंडिया {RBI} भी चिंता में है इसलिए बैंक ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया में बदलाव करने का फैसला लिया है

बैंक का मानना है कि अगर भुगतान प्रक्रिया में टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन को जोड़ा जाएगा तो काफी लोगों को साइबर ठगी से बचाए जा सकता है कुछ ठगी ऐसी होती है जिसमें सिर्फ OTP पूछा जाता है लेकिन जब OTP के अलावा दूसरा सत्यापन करना भी जरूरी होगा तो लोग समझ पाएंगे कि उनके साथ ठगी की जा रही है 

 

डिजिटल पेमेंट के लिए दो सत्यापन जरूरी

रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने ठगी को रोकने के लिए भुगतान प्रक्रिया में बदलाव का फैसला लिया है नए प्रावधान के हिसाब से सिर्फ ओटीपी या कैप्चर कोड डालकर भुगतान नहीं होगा इसके साथ PIN टोकन, बायोमेट्रिक, PASSFRES जैसे कोई दूसरा सत्यापन भी करना होगा नए नियमों के तहत बैंक व गैर बैंकिंग संस्थाओं को अंतिम रूप से भुगतान करने से पहले ग्राहक से जुड़े दो वैकल्पिक सत्यापन करने होंगे अभी सिर्फ ओटीपी के आधार पर भुगतान की सुविधा देते हैं

वर्तमान में साइबर ठग आधार सत्यापन व अपडेट करने बैंक खाता KYC करने से लेकर अन्य तरह के सत्यापन के नाम पर लोगों को चूना लगा रहे हैं साइबर ठग लोगों का भरोसा जीत कर OTP भी मांगते हैं कहीं बार लोग उनके झांसे में आकर OTP दे देते हैं इसी तरह से डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लोगों से भारी रकम की डिमांड करते हैं और लोग उसमें अपनी रकम भी गवा देते हैं

तय रकम के बाद वेरिफिकेशन जरूरी है

आरबीआई चाहता है कि एक निश्चित रकम के बाद भुगतान करने पर बायोमेट्रिक सत्यापन जरूरी हो इसके लिए ग्राहक की सहमति जरूरी होगी अगर ग्राहक बैंक को सहमति देता है तो एक निश्चित रकम के बाद उन्हें बैंक में आकर बायोमेट्रिक करवाना होगा जब ग्राहक अपना फिंगरप्रिंट देगा तो उसके बाद ही सुचारू रूप से दोबारा भुगतान चालू होगा

कुछ मामलों में बैंक व गैर बैंकिंग संस्था और अपने APP के माध्यम से भी बायोमेट्रिक की सुविधा प्रदान करेंगे लेकिन ऐसी स्थिति में बैंक को भी पता रहेगा की रकम बड़ी है और बैंक भी अपने स्तर पर उसकी निगरानी कर सकेगा इस प्रक्रिया में काफी हद तक डिजिटल अरेस्ट जैसे मामले में बचाया जा सकेगा खास तौर पर बुजुर्गों के मामलों में यह विकल्प कारगर हो सकता है

फिलहाल पेमेंट सिस्टम ओटीपी के भरोसे

मौजूदा समय में सभी बैंक सिर्फ OTP के आधार पर ही भुगतान की सुविधा प्रदान कर रहे हैं भुगतान से पहले ग्राहक की बैंक खाते में दर्ज मोबाइल नंबर पर ओटीपी जाता है जिसे डालकर ग्राहक भुगतान कर देता है

कुछ बैंक पंजीकृत मेल आईडी पर भेजे गए ओटीपी को भी मांगते हैं लेकिन रिजर्व बैंक के भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग ने माना है कि मौजूदा भुगतान प्रक्रिया में सुधार की जरूरी है अगर भुगतान प्रक्रिया में व्यक्तित्वक व्यवस्था के तौर पर कुछ टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन को जोड़ दिया जाता है तो इसे ऑनलाइन ठगी पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी

विभाग ने डिजिटल भुगतान में सुधार को लेकर वैकल्पिक सत्यापन प्रक्रिया से जुड़ी रूपरेखा [ ड्राफ्ट ] को केंद्रीय बैंक के सामने रखा है जिस पर आरबीआई ने सहमति जताई है माना जा रहा है कि जल्दी केंद्रीय बैंक देशभर बैंकों के लिए भुगतान से जुड़े नए नियम को लागू करने का निर्देश देगा क्योंकि इसका ड्राफ्ट पहले से जारी किया जा चुका है

साइबर अपराध को लेकर बढ़ रही शिकायत

वर्ष                    शिकायतें

2020                                257777

2021                               452414

2022                               966790

2023                               1556280

2024                               740957 अप्रैल तक 

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