साइबर ठगों के जाल में फंसा उत्तराखंड…290 दिनों में हुई 133 करोड़ की ठगी! जानें कैसे करते हैं शिकार?

Cyber ​​Crime in Uttarakhand : साल 2024 में अब तक उत्तरखड़ राज्य में साइबर ठगी के 19,000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं.3 साल पहले शुरू हुई इस हेल्पलाइन के आंकड़ों के मुताबिक, 290 दिनों में 133 करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी है.

देहरादून : उत्तराखंड में साइबर अपराधियों का जाल लगातार फैलता जा रहा है. जहां एक तरफ तकनीक लोगों की जिंदगी को आसान बना रही है, वहीं दूसरी ओर साइबर ठगी के मामलों में भी तेजी से इजाफा हो रहा है. साइबर ठग हर दिन प्रदेश के लोगों से लगभग 46 लाख रुपये ठग रहे हैं. इस साल अब तक साइबर वित्तीय हेल्पलाइन 1930 पर 19,000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं. 3 साल पहले शुरू हुई इस हेल्पलाइन के आंकड़ों के मुताबिक, 290 दिनों में 133 करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी है.

साइबर ठग कई तरह की तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं जैसे- कॉलिंग एप्स, फर्जी वेबसाइट्स, फर्जी कॉल्स और सबसे नए तरीके डिजिटल अरेस्ट का. इनमें से ज्यादातर साइबर ठग लोगों की पर्सनल जानकारी और डेटा को चुराकर उनके अकाउंट से पैसे उड़ा लेते हैं.

ठगों को कैसे मिलता है लोगों का डाटा?
लोकल18 से बात करते हुए डीएसपी, साइबर सेल अंकुश कुमार मिश्रा ने बताया कि साइबर ठग डिजिटल फुटप्रिन्ट के जरिए लोगों की निजी जानकारी इक्ट्ठा करते हैं. हम अक्सर सोशल मीडिया पर अपने ईमेल, फोन नंबर और फोटो जैसी निजी जानकारी शेयर करते हैं, जो ठगों के लिए सोने की खान साबित होती हैं. ये डेटा चोरी कर ठग डार्क वेब पर बेचते या इस्तेमाल करते हैं, जिससे फर्जी सोशल मीडिया आईडी बनाना, रिश्तेदार बनकर पैसे मांगना या आपकी फोटो का गलत इस्तेमाल करना आम हो गया है.

साइबर ठगी से बचाव के उपाय साइबर ठगी से बचाव के उपाय

अंकुश कुमार मिश्रा ने सलाह दी कि यूजर्स को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर सख्त सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए. अपने प्रोफाइल को लॉक करें और निजी जानकारियां कम से कम साझा करें. साइबर अपराधियों से बचने के लिए यह जरूरी है कि हम अपनी डिजिटल उपस्थिति को सुरक्षित और सतर्क बनाए रखें..

2 अक्टूबर को हुआ था राज्य में बड़ा साइबर हमला

अंकुश कुमार मिश्रा ने लोकल 18 को बताया कि जनवरी से अब तक साइबर वित्तीय हेल्पलाइन ने ठगों के हाथों में जाने से 24 करोड़ रुपये बचाए हैं. जो लोग समय रहते शिकायत दर्ज कराते हैं, उनके धन को सुरक्षित रखने में ये प्रयास सफल साबित हुए हैं. इसके साथ ही, जिलों की साइबर सेल के प्रयासों ने भी बड़ी धनराशि को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.गौरतलब है कि 2 अक्टूबर को एक वायरस के हमले के बाद राज्य के ई-ऑफिस, 72 वेबसाइट्स और लगभग 70 सरकारी एप्लीकेशन बुरी तरह प्रभावित हुए थे. साइबर अटैक के चलते उत्तराखंड के ट्रेजरी सिस्टम पर भी असर पड़ा था, जिससे हजारों सरकारी कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पाया था.

साइबर ठगी उत्तराखंड: ठगों के जाल में फंसा उत्तराखंड, 290 दिनों में 133 करोड़ की ठगी!

उत्तराखंड में साइबर ठगों का जाल तेजी से फैल रहा है। पिछले 290 दिनों में लगभग 133 करोड़ की ठगी की गई है। ठगों के शिकार बनने की प्रक्रिया और उनकी रणनीतियों को समझना बेहद महत्वपूर्ण है।

ठगों की रणनीतियाँ:

  1. फर्जी कॉल्स और मैसेज: ठग अक्सर बैंकों, सरकारी विभागों या प्रसिद्ध कंपनियों के नाम पर कॉल या मैसेज भेजते हैं।
  2. फिशिंग वेबसाइट्स: ये ठग नकली वेबसाइट्स बनाकर लोगों की संवेदनशील जानकारी चुराते हैं।
  3. ऑनलाइन लॉटरी और पुरस्कार: कई बार लोग लॉटरी या पुरस्कार जीतने के झांसे में आकर अपनी जानकारी दे देते हैं।
  4. सोशल मीडिया पर धोखाधड़ी: ठग सोशल मीडिया का उपयोग कर फर्जी प्रोफाइल बनाते हैं और लोगों से दोस्ती कर धोखा देते हैं।

सुरक्षा उपाय:

  • किसी भी अज्ञात कॉल या मैसेज पर ध्यान न दें।
  • व्यक्तिगत जानकारी कभी साझा न करें।
  • बैंकिंग संबंधी गतिविधियों के लिए केवल आधिकारिक वेबसाइटों का उपयोग करें।
  • नियमित रूप से अपने बैंक स्टेटमेंट की जांच करें।

साइबर ठगी से बचने के लिए जागरूक रहना अत्यंत आवश्यक है। सावधानी बरतकर हम अपने आपको और अपने प्रियजनों को इस खतरे से सुरक्षित रख सकते हैं।

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