एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को जालसाजों ने पुलिस की वर्दी में पांच घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके तीन लाख रुपये की ठगी कर दी। ठगों ने इंजीनियर को यह विश्वास दिलाया कि वह जांच के तहत है और उसे पैसे देने के लिए मजबूर किया। इस घटना ने सुरक्षा और ठगी के प्रति जागरूकता को और बढ़ा दिया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है।
कोरांव के रहने वाले विनय कुमार सिंह बेंगलुरू स्थित एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। वह इन दिनों अपने घर आए हुए हैं। शनिवार सुबह करीब नौ बजे उनके मोबाइल पर अंजान नंबर से फोन आया। फोनकर्ता ने कहा कि वह डीएचएल कोरियर कंपनी से बोल रहा है।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर विनय कुमार सिंह को पांच घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर जालसाजों ने 3.08 लाख रुपये की ठगी कर ली। ठगों ने इंजीनियर के नाम से दिल्ली से थाईलैंड तक बुक हुए कोरियर में ड्रग्स व फर्जी तीन पासपोर्ट के होने का झांसा दिया। फिर केस से बचाने के एवज में पहले साइबर पुलिस और फिर सीबीआई अधिकारी बनकर खाते में रुपये ट्रांसफर करवा लिया। शिकायत पर साइबर सेल पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। कोरांव के रहने वाले विनय कुमार सिंह बेंगलुरू स्थित एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं।
वह इन दिनों अपने घर आए हुए हैं। शनिवार सुबह करीब नौ बजे उनके मोबाइल पर अंजान नंबर से फोन आया। फोनकर्ता ने कहा कि वह डीएचएल कोरियर कंपनी से बोल रहा है। कहा कि आपके आधार कार्ड से दिल्ली से थाईलैंड एक कोरियर बुक किया गया है। इसमें फर्जी तीन पासपोर्ट, कुछ कपड़े और ड्रग्स हैं। इसपर विनय ने कहा उन्होंने कोई भी कोरियर बुक नहीं करवाया है। जवाब मिला कि अगर आपने ये कोरियर बुक नहीं किया है तो साइबर पुलिस को इसकी सूचना देनी होगी। उसने कहा कि आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है यहीं से कॉल ट्रांसफर हो रही है।
बैंक में आ रहा विदेश से पैसा
कॉल के ट्रांसफर होते ही दूसरे जालसाज ने विनय से कहा कि वह साइबर क्राइम से सब इंस्पेक्टर बोल रहा हूं। आपको वीडियो कॉल पर आना होगा। पीड़ित के व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल आई। कॉल उठाते ही पुलिस की वर्दी पहने ठग ने कहा कि आपके आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल हो रहा है। इसकी जांच आईटी विभाग से कराना होगा। साथ ही कहा गया कि आपको वीडियो कॉल पर रहना है। इतने में आईटी ने जांच की और कहा इस आधार कार्ड से एचडीएफसी बैंक में एक खाता खोला गया है। इसमें विदेश से कई बार रुपये लेनदेन किया गया है। फिर एसआई बने ठग ने कहा कि यह केस मनी लांड्रिंग और ड्रग तस्करी का बन गया है।
सीबीआई के पास ट्रांसफर किया केस
अब मनी लांड्रिंग के केस में फंसने के बाद इसी वीडियो कालिंग के माध्यम से एक फर्जी सीबीआई अधिकारी को जोड़ दिया गया। पुलिस वर्दी पहने ठग ने खुद को आईपीएस अधिकारी बताते हुए कहा कि आपके खाते में जमा पैसे को आरबीआई से सत्यापन करना होगा। इसके बाद बैंक खाता देकर कहा गया कि इन पैसों को तुरंत ट्रांसफर कर दो, 10 मिनट में खाते का सत्यापन होने के बाद रुपये वापस खाते में भेज दिया जाएगा। इसी झांसे में आकर पीड़ित ने कुल 3,08,880 रुपये ट्रांसफर कर दिए। यह सिलसिला दोपहर दो बजे तक वीडियो कॉलिंग पर चलता रहा। पैसे लेने के बाद जालसाजों ने फोन को बंद कर लिया।
वीडियो कॉल पर दिखा पुलिस ऑफिस जैसा माहौल
साइबर सेल पुलिस को दी तहरीर में विनय ने बताया कि वीडियो कॉल में दिख रहा था कि कई लोग पुलिस वर्दी में हैं। किसी के हाथ में फाइल तो कोई लैंडलाइन फोन पर बात कर रहा था। यह सब देख उसे विश्वास हो गया कि उनके पास पुलिस वालों का फोन आया है। इसी झांसे में आकर जालसाजों ने आसानी से पैसा ट्रांसफर करवा लिया। साइबर सेल प्रभारी विनोद कुमार यादव ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।
इन तरीकों से करते हैं डिजिटल अरेस्ट
- नकली पुलिस अधिकारी बनकर
- इनकम, कस्टम, सीबीआई इंस्पेक्टर बनकर
- बेटे को गिरफ्तार करने पर
- दस्तावेज अवैध सामग्री की पार्सल
डिजिटल अरेस्ट से ऐसे बचें
ठगी के बाद 1930 या फिर cybercrime.gov.in पर सूचना दे सकते हैं।
जांच एजेंसी या पुलिस आपको कॉल करके धमकी नहीं देते
अंजान कॉल पर कोई आपको पुलिस अधिकारी बताएं तो सतर्क हो जाएं
अंजान कॉल पर अगर कोई पैसा मांगे तो उसे मना कर दें, डरे नहीं
व्हाट्एप कॉल के अलाव स्काइप पर आ सकती है वीडियो कॉल
अगर पुलिस आपको पकड़ेगी तो आपके पास आकर न कि फोन पर बताएगी
सॉफ्टवेयर इंजीनियर ठगी का एक नया मामला सामने आया है, जिसमें जालसाजों ने पुलिस की वर्दी में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को पांच घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके तीन लाख रुपये की ठगी की। ठगों ने इंजीनियर को यह विश्वास दिलाया कि वह एक जांच के तहत है, और पैसे देने के लिए उसे मजबूर किया। यह घटना सॉफ्टवेयर इंजीनियर ठगी के खिलाफ सुरक्षा और जागरूकता की जरूरत को दर्शाती है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है।